Trump Ka Bhasmasur Plan | US Economy Crash Secret | Family’s Greed | India’s Bold Move

कल तक जो अमेरिकी नागरिक जश्न मना रहे थे, जो पूरी दुनिया का मज़ाक उड़ा रहे थे, आज वही लोग खून के आँसू रो रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हो गया कि सिर्फ 24 घंटों में अमेरिका की खुशियाँ मातम में बदल गईं?
इस तबाही के पीछे कोई और नहीं, बल्कि उनका अपना ही चुना हुआ नेता है। जिस डोनाल्ड ट्रंप को वो अपना हीरो समझते थे, वही उनके लिए ‘भस्मासुर’ बन गया है। एक ऐसा भस्मासुर, जो अब अपने ही लोगों को भस्म करने पर तुला है।
आँकड़े सुनकर आपके होश उड़ जाएँगे! सिर्फ एक दिन में, अमेरिकी स्टॉक मार्केट से 1.1 ट्रिलियन डॉलर, यानी कि भारतीय रुपयों में करीब 90 लाख करोड़ रुपए… हवा में उड़ गए! ये पैसा किसी अमीर का नहीं, बल्कि आम अमेरिकी नागरिक का था, जो अब बर्बाद हो चुका है।

लेकिन सबसे अविश्वसनीय बात ये है कि ट्रंप ने ये तबाही अमेरिका के भले के लिए नहीं की, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा पारिवारिक स्वार्थ छिपा है। एक ऐसा राज़, जो अगर खुल गया तो अमेरिका में भूचाल आ जाएगा।
ये कोई मज़ाक नहीं है! डोनाल्ड ट्रंप इस समय अपने राष्ट्रपति पद की ताकत का इस्तेमाल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि अपने बेटे, बेटी और दामाद को दुनिया का सबसे अमीर इंसान बनाने के लिए कर रहे हैं।
ये एक माइंड-ब्लोइंग सच्चाई है! ट्रंप का लगाया गया हर एक टैरिफ, हर एक ट्रेड वॉर, और हर एक विदेशी नीति… असल में उनके परिवार के बिजनेस को फायदा पहुँचाने का एक सोचा-समझा प्लान है। अमेरिका जाए भाड़ में, पहले परिवार का भला होना चाहिए!
ट्रंप ये सब इतनी जल्दी में क्यों कर रहे हैं? क्योंकि वो जानते हैं कि ये उनका आखिरी मौका है! अमेरिकी कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति दो बार से ज़्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता, और ट्रंप का ये दूसरा और आखिरी कार्यकाल है।
और इसी वजह से, वो पद छोड़ने से पहले अपने पूरे खानदान को इतना अमीर बना देना चाहते हैं कि उनकी सात पुश्तें बैठकर खाएं, चाहे इसके लिए पूरे अमेरिका की अर्थव्यवस्था ही क्यों न दांव पर लगानी पड़ जाए!
पर्दे के पीछे का सच ये है कि ट्रंप के दामाद जेरेड कुशनर और उनके बेटे लगातार अरब देशों और सीरिया जैसे देशों की यात्रा कर रहे हैं। ये यात्राएं शांति के लिए नहीं, बल्कि पर्सनल बिजनेस डील्स के लिए हो रही हैं!
आपको ये जानकर धक्का लगेगा कि पाकिस्तान जैसे देश, ट्रंप के बेटे की क्रिप्टोकरेंसी कंपनी में करोड़ों डॉलर का निवेश कर रहे हैं, और बदले में ट्रंप उन्हें गुपचुप तरीके से फायदा पहुँचा रहे हैं। ये एक बहुत बड़ा लेन-देन का खेल चल रहा है।
लेकिन जो देश, जैसे कि हमारा भारत, चीन और यूरोप, ट्रंप परिवार के इस घटिया धंधे में शामिल होने से इनकार कर रहे हैं, उन पर ट्रंप भारी-भरकम टैरिफ लगाकर उन्हें सबक सिखाने की कोशिश कर रहे हैं। ये एक तरह का डर और बदले का खेल है।

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असली सच तो ये है कि ये टैरिफ अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उन देशों को सज़ा देने के लिए हैं जो ट्रंप परिवार की तिजोरी भरने में मदद नहीं कर रहे।

चलिए इस पूरे खेल को एक गाँव की कहानी से समझते हैं, एक दम मज़ेदार अंदाज़ में! मान लीजिए आपके गाँव में 5 दुकानें हैं। गाँव का सरपंच (यानी ट्रंप) गुस्से में आकर हर दुकानदार पर 10-10 रुपए का टैक्स लगा देता है। अब दुकानदार क्या करेगा? वो 10 रुपए अपनी जेब से तो देगा नहीं! वो अपनी हर चीज़ 10 रुपए महंगी कर देगा। तो अंत में टैक्स कौन भर रहा है? दुकानदार या आप, यानी गाँव वाले? ज़ाहिर है, गाँव वाले! अमेरिका में भी यही हो रहा है।

और सरप्राइज की बात ये है कि दुकानदारों को इससे ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता! क्यों? क्योंकि टैक्स तो सब पर लगा है! अगर सिर्फ एक पर लगता, तो उसका सामान महंगा होता और बाकी सबका बिकता। लेकिन जब सबका सामान महंगा हो गया, तो नुकसान सिर्फ और सिर्फ खरीदने वाले का है!

ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में यही गलती नहीं की थी। तब उन्होंने सिर्फ चीन पर टैरिफ लगाया था, जिससे बाकी देशों को फायदा हुआ और चीन की अर्थव्यवस्था हिल गई। लेकिन इस बार उन्होंने सब पर टैरिफ लगाकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है!
और यहीं पर भारत जैसे देश मजबूती से खड़े हैं। भारत ने ट्रंप की इन धमकियों के आगे झुकने से इनकार कर दिया है। हम किसी के पारिवारिक बिजनेस को फायदा पहुँचाने के लिए अपने देश के हितों से समझौता नहीं कर सकते। ये नए भारत की पहचान है!
अर्थशास्त्र में इसे ‘बूमरैंग इफेक्ट’ कहते हैं। जब आप सोचते हैं कि आप हथियार से दुश्मन को मार रहे हैं, लेकिन वो हथियार घूमकर आपको ही लग जाता है। ट्रंप के टैरिफ अब अमेरिका के लिए बूमरैंग बन चुके हैं।
सोचिए, 90 लाख करोड़ रुपए! इतना पैसा, जितना भारत का सालाना बजट होता है, उतना पैसा ट्रंप ने अपने ही देश का सिर्फ 24 घंटे में डुबो दिया, सिर्फ अपने परिवार के लालच के लिए!
लेकिन असली रहस्य ये है कि क्या ट्रंप का मकसद सिर्फ पैसा कमाना है? या वो जानबूझकर अमेरिकी सिस्टम को इतना खोखला कर देना चाहते हैं कि उनके जाने के बाद इसे कोई संभाल ही न पाए? ये एक बहुत बड़ी मिस्ट्री है।

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ये घटना हमें सिखाती है कि जब कोई देश अपने सिद्धांतों पर मजबूती से खड़ा रहता है, तो बड़ी से बड़ी ताकत भी उसे झुका नहीं सकती। भारत की विदेश नीति आज इसी बात का सबसे बड़ा उदाहरण है।
सोचिए, एक तरफ ट्रंप अपने ही नागरिकों और सहयोगी देशों पर टैक्स लगा रहे हैं, और दूसरी तरफ पाकिस्तान जैसे देशों को, जो उनके परिवार को फायदा पहुँचा रहे हैं, उन्हें गुपचुप तरीके से ‘फ्री’ में फायदे दे रहे हैं। ये कैसी नीति है?
सबसे ज़्यादा दिल दुखाने वाली बात ये है कि इस पूरे खेल में वो आम अमेरिकी नागरिक पिस रहा है, जिसने अपनी ज़िंदगी भर की कमाई, अपने रिटायरमेंट का पैसा स्टॉक मार्केट में लगाया था, ये सोचकर कि उनका राष्ट्रपति देश का भला कर रहा है।

आज उन लोगों के सपने, उनकी उम्मीदें, सब कुछ टूटकर बिखर गया है। उन्हें ठगने वाला कोई और नहीं, बल्कि उनका अपना ही नेता है। इससे बड़ा धोखा और क्या हो सकता है?

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