यूक्रेन युद्ध के बाद राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर में भारत दौरे पर आएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के साथ शिखर सम्मेलन में रणनीतिक और आर्थिक सहयोग पर चर्चा होगी। यात्रा 5 दिसंबर के आसपास प्रस्तावित है। अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत रूस से ऊर्जा और रक्षा खरीद जारी रखेगा। पुतिन से पहले, रूसी विदेश और रक्षा मंत्री भारत आएंगे। भारत-रूस व्यापार 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें भारत का कच्चे तेल का आयात प्रमुख है। व्यापार संतुलन सुधारने और भारतीय कंपनियों को रूसी बाजार में पहुंच दिलाने पर बात होगी। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
Highlights
यहां इस लेख के मुख्य अंश बुलेट बिंदुओं में दिए गए हैं:
- पुतिन की भारत यात्रा: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर की शुरुआत में भारत दौरे पर आएंगे।
- वार्षिक शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में रणनीतिक और आर्थिक सहयोग पर चर्चा होगी।
- यूक्रेन युद्ध के बाद पहली यात्रा: यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा होगी।
- अमेरिका का दबाव: यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका भारत पर रूस से ऊर्जा और रक्षा खरीद कम करने का दबाव बना रहा है।
- उच्च स्तरीय यात्राएं: पुतिन की यात्रा से पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव भी भारत आएंगे।
- व्यापार असंतुलन: भारत-रूस व्यापार 68.7 अरब डॉलर का है, लेकिन भारत का निर्यात केवल 4.88 अरब डॉलर है, जिससे व्यापार संतुलन बिगड़ा हुआ है। इस असंतुलन को दूर करने पर बातचीत होगी।
- रणनीतिक साझेदारी: मोदी और पुतिन ने SCO शिखर सम्मेलन में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने का संकल्प दोहराया था।
- रूसी चैनल का शुभारंभ: पुतिन रूसी सरकारी प्रसारक RT के भारत चैनल का शुभारंभ करेंगे।
यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन की पहली भारत यात्रा: क्या हैं मायने?
एक गहरे रिश्ते की नई शुरुआत?
दिसंबर की शुरुआत में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आने वाले हैं। यह दौरा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और रूस के बीच दशकों पुराने गहरे रिश्ते को भी दर्शाता है। यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन की यह पहली भारत यात्रा कई मायनों में खास है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, हमेशा एक मजबूत दोस्ती का प्रतीक।
क्यों खास है यह दौरा?
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत पर अमेरिका लगातार रूस से ऊर्जा और रक्षा ख़रीद कम करने का दबाव बना रहा है। इसके बावजूद, भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करते हुए रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा है। यह दौरा इस बात का संकेत है कि भारत रूस के साथ अपने रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करना चाहता है।
एक नजर अतीत पर: पुतिन ने आखिरी बार 2021 में वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया था।
आगे क्या? इस दौरे में दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा होगी।
शिखर सम्मेलन: क्या उम्मीदें हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।
1. व्यापार और अर्थव्यवस्था:
- 2024-25 में भारत-रूस व्यापार रिकॉर्ड 68.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
- भारत का बड़ा हिस्सा रियायती दामों पर रूस से खरीदे गए कच्चे तेल का है।
- भारत का निर्यात केवल 4.88 अरब डॉलर रहा है, जिससे व्यापार संतुलन बिगड़ गया है।
क्या हो सकता है? इस असंतुलन को दूर करने और भारतीय कंपनियों को रूसी बाजार तक अधिक पहुंच दिलाने पर बातचीत हो सकती है।
2. ऊर्जा सुरक्षा:
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से कच्चे तेल का आयात करता है। यह उम्मीद की जाती है कि दोनों देश ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत होंगे।
क्या आप जानते हैं? भारत रूस से रियायती दामों पर कच्चा तेल खरीदता है, जिससे उसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
3. रक्षा सहयोग:
रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता है। दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर भी चर्चा हो सकती है।
एक महत्वपूर्ण तथ्य: भारत और रूस के बीच अंतर-सरकारी सैन्य तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-MTC) रक्षा साझेदारी की मुख्य संस्था है।
4. क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दे:
दोनों नेता क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे, जिनमें अफगानिस्तान की स्थिति, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।
कूटनीतिक हलचल: पुतिन की यात्रा से पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव नवंबर में और रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोउसॉव सितंबर अंत में नई दिल्ली आएंगे।
“भारत और रूस ने हमेशा सबसे कठिन परिस्थितियों में भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की परंपरा निभाई है।”
-नरेंद्र मोदी
यह उद्धरण भारत और रूस के बीच विश्वास और समर्थन के गहरे बंधन को दर्शाता है।
रूस के साथ रिश्तों का महत्व
भारत के लिए रूस एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच दशकों पुराने संबंध हैं जो समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। रूस ने हमेशा भारत का समर्थन किया है, चाहे वह राजनीतिक, आर्थिक या सैन्य क्षेत्र हो।
भारत-रूस संबंधों के 25 वर्ष
3 अक्टूबर को भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह मील का पत्थर दोनों देशों के बीच मजबूत और स्थायी संबंधों का प्रमाण है।
पुतिन की यात्रा का संभावित प्रभाव
पुतिन की यात्रा का भारत और रूस के संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह दौरा दोनों देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने में मदद करेगा।
रूसी सरकारी प्रसारक RT का भारत चैनल
पुतिन इस दौरान न सिर्फ मोदी से मुलाकात करेंगे बल्कि रूसी सरकारी प्रसारक RT के भारत चैनल का शुभारंभ भी करेंगे।
भारत के लिए क्या हैं चुनौतियाँ?
हालांकि रूस के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन भारत को अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को भी संतुलित करना होगा।
- अमेरिका का दबाव
- व्यापार असंतुलन
क्या करना चाहिए? भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
भावनात्मक पहलू:
यह दौरा न केवल कूटनीतिक और आर्थिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत और रूस के लोगों के बीच भावनात्मक बंधन को भी दर्शाता है। दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के प्रति सम्मान और स्नेह रखते हैं।
आप क्या सोचते हैं?
क्या भारत को रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करना चाहिए? क्या भारत अमेरिका के दबाव में झुकना चाहिए? अपनी राय कमेंट बॉक्स में बताएं।
कॉल टू एक्शन:
इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि उन्हें भी भारत और रूस के संबंधों के बारे में जानकारी मिल सके।
और याद रखें: भारत और रूस एक दूसरे के भरोसेमंद दोस्त हैं, और यह दोस्ती हमेशा बनी रहेगी।